
मां बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा
पं. हर्षित सतीश शर्मा
माँ बगलामुखी में होने वाली क्रियाए, हवन व पूजन

अनुष्ठान पूजा
शत्रु को पराजित करने में, शत्रुओ का नाश करने में, कोर्ट कचहरी के मामलो में, सम्मोहन में, आकर्षण में, उच्चाटन के लिए, गुप्त शत्रु बाधा, राजनीती में स्थायित्व हेतु, सर्वत्र विजय प्राप्ति हेतु, न्यायालय बिध्न बाधा, कर्ज से मुक्ति के लिए, मोहन आदि बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी समस्याओ के समाधान के लिए बगलामुखी अनुष्ठान किया जाता है।

विद्वेषण पूजा
विद्वेषण का महत्त्व है द्वेष पैदा करना विद्वेषीशित करना विद्वेषण एक क्रिया है जो तंत्र के अंतिम में षठ कर्मो में अंतिम क्रिया है द्वेष पैदा करना मतलब दो लोगो के बीच झगड़ा करना इस क्रिया में पार्टनरशिप टूट जाया करती है या डाइवोर्स जाते हैं

उच्चाटन पूजा
किसी भी कार्य की संपन्ता उसमें लगे मन की एकाग्रता और कार्य के प्रति समर्पण पर निर्भर है यह कहे की दिल लगाकर किया गया कार्य ही फलदाई साबित होता है अन्यथा इसमें आने वाली हर्ष ने सफलता में बाधक बनी रहती है कहीं बाहर कार्य के प्रति मन में भटकाव अर्थात उच्च चार्ट जैसी स्थिति बन जाती है इसकी कहीं वजहें हो सकती है कुछ अपने आचरण विवाद मनमुटाव किसी की नापसंदगी तो कुछ दुश्मनों के विरा दी तेवर से हो सकते हैं इन्हें उच्चाटन के तांत्रिक उपायों से दूर किया जा सकता है

सम्मोहन तंत्र पूजा
समोहन किसी भी व्यक्ति व वस्तु को अपने हिसाब से चलाने की कला है। जिसके द्वारा मनुष्य उस अर्धचेतनाव्सथा में लाया जा सकता है जो कि समाधि व स्वप्नावस्था से मिली जुली होती है इस प्रयोग द्वरा मनुष्य अपनी प्रत्येक इत्छा अथवा मनोकामना पूरी कर सकता है।

तंत्र पूजा
तंत्र से वशीकरण, मोहन, विदेश्वण, उच्चाटन, मारण और स्तम्भन मुख्यरूप से ये 6 क्रियाएं की जाती हैं जिनका अर्थ वश में करना, सम्मोहित करना। दो अति प्रेम करने वालों के बीच गलतफहमी पैदा करना, किसी के मन को चंचल करना। किसी को मारना, मन्त्रों के द्वारा कई घातक वस्तुओं से बचाव करना।

शत्रु नाशक पूजा
अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रही हैं शत्रु का भय सता रहा हो जब शत्रु के कारण जीवन मुश्किल हो गया हो इस पूजन द्वारा उस शत्रु को स्वयं से दूर किया जा सकता है

लक्ष्मी पूजा
मनुष्य जीवन में हर सुख भोगने के लिये सबसे जरूरी होता है पैसा। जीवन मे पैसा नही है तो आपका मनुष्य जीवन नरक के समान होता है। इसलिए माता लक्ष्मी की विशेष कृपा हेतु। माँ बगलामुखी की अधिष्ठात्री लक्ष्मी को हमेशा पशन्न रखे व लक्ष्मी प्राप्ति तंत्र साबर पूजा प्रयोग को अपनाएं। जिसे माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहे।

वशीकरण पूजा
वशीकरण तंत्र होता है की आप किसी के भी मन को व मस्तिष्क को अपनी इच्छाओं के अनुसार वश में कर सकते है। उसका उपयोग कर सकते है। जिससे आप अपना हर असम्भव कार्य को पूरा कर सकते है, इस प्रयोग का लाभ हर मनुष्य लेना चाहता है परन्तु हमेशा सही के लिए ही इसका प्रयोग करना चाहिए।

आकर्षण पूजा
जीवन मे सबसे बड़ी शक्ति होती है, आकर्षण शक्ति, जिससे व्यक्ति हर किसी को अपनी और आकर्षित करके अपना मनच्छित कार्य सम्भव करवा सकता है। माँ बगलामुखी की कृपा से यह शक्ति आप तंत्र के प्रथम प्रयोग आकर्षण प्रयोग से पा सकते है।

हवन पूजा
माँ बगलामुखी हवन का महत्व - माता अपने भक्तों के जीवन की आवश्यकताओं का सदा ख्याल रखती है। उसके सुख-दुख में हर कदम पर साथ देती है। ताकि उसके भक्त किसी परेशानी में न पड़ें। उसके ध्यान या पार्थना में आस्था और विस्वाश अंनत है, तभी उसकी शुभ दृष्टि आप पर होगी। इनकी पूजा हवन करके आप जीवन में जो चाहें कर सकते हैं। इनकी पूजा करने से कभी भी शत्रु को परास्त किया जा सकता है।
माँ बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा का इतिहास
माँ बगलामुखी मंदिर मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा नगर में लखुन्दर नदी के के पूर्वी तट पर स्थित है। यह मंदिर पांडव कालीन अति प्राचीन है मंदिर के गर्भ गृह में माता बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमाह के रूप में विराज मान है तथा माता के साथ दाये बाये महालक्ष्मी महा सरस्वती विराज मान है। यह मंदिर देश विदेश में अति प्रचलित है एवं चमत्कारिक भी है। मंदिर परिसर में भैरव ,हनुमान व पारदेश्वर राधे कृष्ण मंदिर के साथ ऋषि मुनियों की अति प्राचीन जाग्रित समाधिया स्तिथ है जो की मंदिर को अति प्राचीन होने का प्रमाण देती है मंदिर की मान्यता अनुसार माता त्वरित फल दाई है इसीलिये मंदिर में विभिन्न राज्यों से तथा देश विदेशो से भी लोग माता के दर्शन के लिये आते है एवं विशेष कार्य के लिये माता मंदिर में अनुष्ठान एवं हवन पूजन कर माता का आशिर्वाद प्राप्त करते है।
स्वर्ण ओर रजत श्रृंगार
माँ बगलामुखी के कई स्वरूप हैं। कहा जाता है कि देवी माँ बगलामुखी समुद्र के मध्य स्थित मणिमय द्वीप में अमूल्य रत्नों से सुसज्जित सिंहासन पर विराजमान हैं। देवी त्रिनेत्रा हैं और उनके मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है। उनका शारीरिक वर्ण पीला है, और उन्होंने पीले वस्त्र तथा पीले फूलों की माला धारण की हुई है। देवी के अन्य आभूषण भी पीले रंग के हैं और अमूल्य रत्नों से जड़ित हैं। माँ बगलामुखी विशेष रूप से चंपा के फूल, हल्दी की गाँठ और अन्य पीले रंग से संबंधित तत्वों की माला धारण करती हैं। वे रत्नमय रथ पर आरूढ़ होकर शत्रुओं का नाश करती हैं। माँ को पीली वस्तुएँ अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए विशेष अवसरों पर उनका स्वर्ण एवं रजत शृंगार किया जाता है। विशेष पर्वों, जैसे नवरात्रि, माँ बगलामुखी जयंती एवं राष्ट्रीय पर्वों पर माँ को तीन रंगों की चुनरी ओढ़ाकर विशेष रूप से सजाया जाता है। इसके अतिरिक्त, अन्य विशेष अवसरों पर भी माँ भगवती बगलामुखी का दिव्य शृंगार किया जाता है।


